जाम हो या जहर जिंदगी मे पीना सीख ले
दर्द को भुला कर
ज़ख़्मों को सीना सीख ले।
न तू किसी के जैसा, न तेरे जैसा कोई “राज”
यकीन कर खुद पे, जिंदगी को जीना सीख ले।
12 दिसम्बर 2015
जाम हो या जहर जिंदगी मे पीना सीख ले
दर्द को भुला कर
ज़ख़्मों को सीना सीख ले।
न तू किसी के जैसा, न तेरे जैसा कोई “राज”
यकीन कर खुद पे, जिंदगी को जीना सीख ले।
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जो दिल को बहला जाती थी वो मीठी तकरार कहाँ है, कोई हमसे पूछ रहा है पहले जैसा प्यार कहाँ है......... वो दिन कब के बीत चुके जब "ना" के पीछे "हाँ" होती थी, इकरारों की खुशबू लाये ऐसा इंकार कहाँ है......D