दर्दे दिल तुम छुपाया करो
अश्क़ अपने यूँ न जाया करो
मुश्किल है रूठों को मनाना यहाँ
वक़्त है रूठा तो उसे मनाया करो
मिलेगी सेज फूलों की तुम्हें मगर
धुप में बदन अपना जलाया करो
यहाँ पल में बदलते हैं रिश्ते
सोच समझ कर दिल को लगाया करो
24 सितम्बर 2016
दर्दे दिल तुम छुपाया करो
अश्क़ अपने यूँ न जाया करो
मुश्किल है रूठों को मनाना यहाँ
वक़्त है रूठा तो उसे मनाया करो
मिलेगी सेज फूलों की तुम्हें मगर
धुप में बदन अपना जलाया करो
यहाँ पल में बदलते हैं रिश्ते
सोच समझ कर दिल को लगाया करो
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जो दिल को बहला जाती थी वो मीठी तकरार कहाँ है, कोई हमसे पूछ रहा है पहले जैसा प्यार कहाँ है......... वो दिन कब के बीत चुके जब "ना" के पीछे "हाँ" होती थी, इकरारों की खुशबू लाये ऐसा इंकार कहाँ है......D