कुछ पाना है कुछखोना भी सीखे
एक सांस ही आती तो एक सांस है जाती
प्रकृति के नियम तो
बहुत कड़े है चलना तो होगा ही
पत्ते गिरते है शाखाओं से तभी
नवी कोपल फूट है पाती है
जो देता है पाता भी वही कुछ है
थी नियम कुछ कहते
हर एक रात के बाद ही उजाला
हो पाता खेल कुदरत का
बर्तन भी खाली होगा तभी तो भर पारोगे
थोड़ी जगह तभी पाओगे
लेना है तो देना सीखो तभी तो मिलपाओगे
जितना दोगे सम्मान तुम उतना ही पायेंगे