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जितना दोगे उतना पाओगे

2 मई 2022

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कुछ पाना है कुछखोना भी सीखे

एक सांस ही आती तो एक सांस है जाती

प्रकृति के नियम तो 
बहुत कड़े है चलना तो होगा ही

पत्ते गिरते है शाखाओं से तभी 
नवी कोपल  फूट है पाती है

जो देता है पाता भी वही कुछ है
 थी नियम कुछ कहते

 हर एक रात के बाद ही उजाला 
हो पाता खेल कुदरत का

बर्तन भी खाली होगा तभी तो भर पारोगे 
थोड़ी जगह तभी पाओगे

लेना है तो देना सीखो तभी तो मिलपाओगे

जितना दोगे सम्मान तुम उतना ही पायेंगे


कविता रावत

कविता रावत

सच सम्मान पाने के लिए सम्मान देना पहले सीखना जरुरी है बहुत खूब

5 मई 2022

Manju

Manju

5 मई 2022

आभार जी

भारती

भारती

बहुत खूब 👌🏻👌🏻

3 मई 2022

Manju

Manju

3 मई 2022

शुक्रिया जी

Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुन्दर प्रस्तुति मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें। https://shabd.in/books/10080388

3 मई 2022

Manju

Manju

3 मई 2022

जी बिलकुल

Manju

Manju

4 मई 2022

आभार जी

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