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Kab Hogi Bhet

Mathura Kalauny

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13 फरवरी 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 9798885303712
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सींग कटा कर नाटक मंडली के बछड़ों में शामिल हुए थे परमानंद काका, पर ऐन मौके पर बीमार पड़ गये और आवाज तक बैठ गयी। ऐसे में रुकुमा का प्रवेश होता है। रुकुमा का कहॉं तो एकदम व्‍यवस्थित धरेलू जीवन था। शादी पहले से ही तय थी। और यहाँ नाटक मंडली में स्‍टेज में लड़की का भेष धारे गजेन्‍द्र से टकराती है। प्‍यार में ऐसे डूबती है कि सब संयम दरकिनार हो जाते हैं।  धनसिंह को लगता था कि गजेन्द्र और रुकुमा का प्यार कुमाऊँ की प्रेमकथा का एकदम आधुनिक और आकर्षक संस्करण है। कैसा था उनका प्रेम? नायक अपनी नायिका से प्रथम मिलन में एक लोकगीत के सहारे पूछता है कि हे प्रेयसी, जाई और चंपा के फूल खिले हैं। खेत में सरसों फूली है। आज के दिन इस महीने हम मिले हैं, अब फिर कब होगी भेंट? जब भेंट हुई तो सिर में डंडे खाये, पहाड़ की चोटी से धकेला गया। याददास्‍त तक चली गयी। वह तो भला हो चिंतामणि वैद्य और उसकी नातिनी का कि समय लगा पर याददास्त लौट आयी। इस बीच रुकुमा पर क्या बीती? हास्य रस से भरपूर, उत्‍तराखण्‍ड में रची-बसी एक बेहद दिलचस्प प्रेम कहानी। Read more 

Kab Hogi Bhet

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