छंद - सखी/आँसू शिल्प विधान-१४ मात्रा (चार चरण) ३ चौकल गुरु अंत में मगण (२२२)अथवा यगण (१२२) आरम्भ में द्विकल अनिवार्य“गीत”सखि बसंत भौंरा आया मन मन फागुन बौरायानच माली महुवा कूँचा तक नैना झरना ऊँचा॥बौर आम डाली डाली है कोयल काली काली मतवाली गाए फागा जिय तरसा बैठा कागा॥ म