कबड्डी
की उत्पत्ति भारत के तमिलनाडु राज्य से मानी जाती है जो यहाँ के में आदिकाल से ही
प्रचलित रहा है| हालाँकि वर्तमान स्वरुप की कबड्डी का श्रेय महाराष्ट्र को है जहां
1915 से 1920 के बीच कबड्डी के नियमों की
प्रक्रिया शुरू हुई| हालाँकि कबड्डी ने विश्व-स्तर पर अपनी पहचान भारत द्वारा
बर्लिन ओलंपिक्स-1936 में
सहभागिता से प्राप्त की| गौरतलब है कि 1938 में तत्कालीन कलकत्ता में इंडियन नेशनल गेम्स में कबड्डी
शामिल हुआ| 1950
में ‘आल इंडिया कबड्डी फेडरेशन’
(ए.आई.के.एफ.) बना जिसके तहत कबड्डी के औपचारिक नियम तय किये गए| हालाँकि 1972 में ए.आई.के.एफ. बाद में ‘द
अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (ए.के.एफ.आई.) में बदल गया और चेन्नई में
कबड्डी का पुरुष वर्ग का पहला टूर्नामेंट आयोजित हुआ| ज्ञातव्य है कि पहला एशियन
कबड्डी चैम्पियनशिप 1980 में
हुआ जिसमें भारत ने बांग्लादेश (जिसका राष्ट्रीय खेल कबड्डी है) को हराकर विजेता
बना| वहीं बीजिंग में 1970 के एशियन गेम्स में कबड्डी को शामिल हुआ था
कुछ खास बातें
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प्राचीन महाभारतकालीन युग के लोकप्रिय खेलों में शामिल रहा
है कबड्डी|
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कबड्डी शब्द की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सर्वसम्मत मत तो
नहीं है, परन्तु अधिकांश लोगों के अनुसार कबड्डी तमिल शब्द ‘काईपीडी’ का परिवर्तित
नाम है|
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कबड्डी भारत के राज्यों तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र
प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब का ‘स्टेट गेम’ है|
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वर्तमान में किसी भी खेल में विश्व में सर्वश्रेष्ठ टीम और
प्रदर्शन की बात हो तो वो खेल कबड्डी ही है जिसका हर विश्व कप, एशियन गेम्स का
स्वर्ण पुरुष एवं महिला दोनों वर्गों में भारत के ही नाम है|
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दक्षिण एशिया के अहम खेलों में से एक कबड्डी की लोकप्रियता
की वजह से ही इस पर बहुत सारी हिंदी फ़िल्में भी आधारित थीं जिनमें परदेस, हु तू
तू, कबड्डी तथा बदलापुर बॉयज इत्यादि शामिल हैं|
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जोश-ऊर्जा से लबरेज़ कबड्डी में दो टीमें होती हैं जिनमें
प्रत्येक में 7-7 खिलाड़ी होते हैं|
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कबड्डी खेल की कुल समयावधि 40 मिनट है जिसमें अंतराल का 5 मिनट भी शामिल होता है|
· इस खेल का मुख्य नियम यही है कि विरोधी खेमे में जाकर एक ही साँस में कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए ताल ठोकना और दोनों टीमों के बीच खींची रेखा को छू लेना| इस दौरान विरोधी टीम ताल ठोकने वाले खिलाड़ी को पकड़ने में हर संभव दांव आजमाते हैं|