ये सच है कि कलाकार स्वतंत्रता की ज़मीन परही काम करता है उसके विचारों कि स्वतंत्रता ही उसकी वोजादुई तूलिका होती है जिसके माध्यम से वो अनेकानेक रचनाओं में रंग भरता है.
कलाकार स्वतंत्र नहीं होगा तोकिसी भी नयी रचना की सम्भावना भी नहीं रहेगी. विचारों कि जितनी स्वतंत्रता होती है, कल्पना कि उड़ान भी उतनी ही ऊंची होती जाती है.
फिर भी, हमारी स्वतंत्रता बस वहीँ तकसीमित है जहाँ तक ये किसी और कि स्वतंत्रतामें हस्तछेप न करे. दुनिया में कितने ही ऐसे शीर्षस्थ कलाकार हुए हैं जिनकी कल्पना कि उड़ान ...