फासीवाद के विरोध में अपना सर्वस्व दाव पर लगाकर जो लड़ाई बंजारो ने हमारे पूर्वजों ने 1857 में शुरू की थी वह आज तक रुकी नहीं है हमने अंग्रेजों के विरुद्ध शस्त्र उठाए और युद्ध का आगाज किया अंग्रेजों ने कानून और भारत सरकार के साथ मिलकर सीटी एक्ट बनाकर हमारा अस्तित्व नष्ट करने की साज़िश रची और हमारे संसाधनों और अवसरों पर अधिकार कर लिया इससे लगता यह युद्ध हार गए पर एसा नही है यह युद्ध भारत के बंजारा जनजातियां कभी हारी ही नहीं एसा इतिहास में कहीं लिखा ही नहीं है भारत युद्ध में बजारों को एक ही दिक्कत थी बंजारे देश की रक्षा करना चाहते थे पर देश के हिंदू मुस्लिम सिख इसाई कसाई बनकर अंग्रेजों की सेना में शामिल होकर 1857 की क्रान्ति की ज्वाला ठंडी कर रहे थे भारतीय राजतंत्र अंग्रेजों गलवहीयां कर रहा था हिंदू मुस्लिम सिख इसाई अंग्रेजों की ........ की चाट रहै एक झांसी की रानी का गुट इस क्रांति में शामिल था पर उसका लक्ष्य अपनी झांसी को बचाना भर था अंग्रेजों की सेना में जो सैनिक थे वह हिंदू मुस्लिम सिख इसाई राजपूत नहीं ऊंच सब शामिल हैं बंजारो की सेना में लगभग एक हजार जनजातियों के 13 करोड लोग क्रान्ति की ज्वाला थामे थे अंग्रेजों साजिशे कर इस युद्ध को दबाया लालची चाटूकार हिन्दुस्तानियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता की आग को बुझाया अंग्रेजों की विजय यात्रा में हिंदुओं के एक महान चाटूकार ने अंग्रेजो की चाटू कारी लिखा ही नही लाखों हिंदु मुस्लिम सिख इसाईयो ने गाया जन गन मन के अधिनायक तेरी जय हो भिया विचारणीय यह है तोप गोलों और बंदूकों से भी नही डरने वाली कोम जिसके पूर्वजों ने अपना सब कुछ होम कर इस युद्ध को अंग्रेजों के विरुद्ध लडा आज उनके वंशज राय साहब बनने के लिए सत्य को दबा रहै है सच्चाई को दवाने बालो को नमकहराम कहते हैं अब बंजारो को तय करना है वह अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलेंगे या अपने लिए अपनी पसंद के बाप चुनेंगे जब इस देश में हिंदु मुस्लिम सिख इसाई नही थे तब भी बंजारा संस्कृति अस्तित्व में थी सनातनधर्म के इतिहास में भी बंजारो को पाणी , पुणजन के नाम से इतिहास अंकित है भारत आज भी गुलाम है गुलाम संस्कृति का अनुयाई हैं