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काश!..... हमारे होते

Sakshi Kumari

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"अधिशा " जिसका मतलब ही शुरूआत होता है ,ये एक 5 साल की लड़की जो स्कूल से आती है और मां मां खोजने लगती है कोई भी बच्चा चाहे कितना भी बड़ा हो जाए और कहीं से भी आये बस मां मां ही खोजते हैं और जब अधिशा को मां नहीं मिली तो हर जगह खोजने लगी और फिर कुछ सुनाई दिया और आवाज के दिशा में गई एक 21 साल की महिला जिसके कपडे फटे हुए थे बाल बिखरे और सामने एक 35 साल का हैवान जो हैवानियत पर उतर आया था उसके  वो गिड़गिड़ा रही थी " भगवान के लिए मुझे छोड़ दिजिए आप को मैं बड़े भैया जैसे समझती हूं  ,ये पाप मत करिए" " साली तुमको प्यार से बोले तो नहीं मानी तो मुझे भी कलियां मसलने में बहुत मजा आयेगा " " बचाओ कोई है " तभी 60 साल एक मर्द आया और वो उसके पैर पकड़ कर बचाने की उम्मीद करने लगी वो भी हंसने लगा ,,,, साली बहुत फड़फड़ाती है आज तो ...और हंसने लगा अधिशा कुछ खोजने लगी " बाबु जी आप भी आपके बेटे के विधवा हूं कुछ तो शर्म कर लिजिए" " लेकिन हो तो औरत ही ,तुम आराम से यहां रहना और हम दोनों को खुश करते रहना " " छि ,कितना घटिया सोच रखते हैं आप " उतने में दोनो मिल कर पकड़ लिए और अधिशा किचेन से एक चाकू उठाई और आंखों में खून उतर गये थे और आ कर सिंधे पहले दादाजी जो सिर्फ नाम के थे को चाकू मारी  और दुसरा आदमी पकड़ने गया लगा तो उसे भी चाकू घोप दी और " मम्मा भागो " वो औरत बस बच्ची को देखे जा रही थी वो मासुम पकड़ कर कपडे से ढकी और भागने के लिए खिंची इस तरह वो अपने मां की जान बचा ली लेकिन थी तो बच्ची इसलिए वो दोनों को ज्यादा चाकू अंदर तक नहीं गई थी भागते भागते एक ऑटो मिल गया उसमें दोनों बैठ गये ,अधिशा की मां अपने बच्ची को ये रूप देख कर डर गई थी इसमें भी वहीं सब गुण कैसे आ सकता है जो उस शख्स में था और अतित में चली गई 🔙🔙🔙🔙🔙🔙 " मम्मा देखो चुहिया आज फिर मेरी ड्रेस पहन ली और तो और नहाई भी नहीं है पता नहीं कितने दिन नहाये हो गये इसे" भाव्या - ओये इतना मत रो और मुझे लेट हो रही है तो बाकी लड़ाई आ कर करती हुं भाव्या एक नं की आलशी लड़की थी जो बस किसी तरह कॉलेज पहुंच जाती थी उसके दो दोस्त थे तासू और आशु जो बहुत ज्यादा कॉमेडियन थे और ये बस वहीं दोनो के साथ मस्ती करती थी एक दिन कॉलेज से बापस मस्ती करते हुए आ रही थी तभी देखी एक गुंडा एक इंसान को चाकू से घोप घोप कर मार डाला " मैं चाहता तो तुम्ह 

kash hamare hote

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