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"बचपन का जमाना" ( कविता )

29 मई 2015

896 बार देखा गया 896
featured imageएक बचपन का जमाना था खुशियों का खजाना था चाहत चाँद को पाने की थी दिल तितली का दीवाना था | थक - कर आना स्कूल से फिर खेलने भी जाना था दादी-नानी की कहानी थी परियों का फ़साना था | रंग-बिरंगे उड़ते पतंगे हर मौसम सुहाना था हर खेल में साथी थे हर रिश्ता निभाना था | रोने की कोई वजह न थी वह टॉफी खाने का बहाना था अब न रही वो आजादी जैसा - बचपन का जमाना था ||
मनोज कुमार - मण्डल -

मनोज कुमार - मण्डल -

बहुत खूब सुनील बाबू |

29 मई 2015

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