" कवि केशव सक्सेना"
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" लोगों के निकल रहें है प्राण , फिर भी हमारे देश में हो रहें हैं अवैध निर्माण। बघारते हैं जो अपनी झूठी शान , अक्सर वो ही करते हैं अवैध निर्माण। मिट रही है देश की आन -बान और शान , फिर भी हमारे