15 जुलाई 2015
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मैं एक छात्र हुँ स्नातक किया हूँ और आगे मंजिल जहाँ ले जाय क्योंकि सब का मालिक एक है |D
सुमित जी , आपकी अब तक की सभी रचनाओ ने आपकी लेखनी कला ने हम सभी को मोहित किया है ... ये संगठन स्वयं को खुशनसीब समझता है जो आप और विजय जी जैसे अनेक साथी हमसे जुड़े और इतना सुन्दर रिश्ता है आपके साथ ... इस रचना के लिए अनेक अनेक धन्यवाद ... - प्रियंका (शब्दानगरी संगठन )
17 जुलाई 2015
यदि ये शब्दानगरी संगठन न होता तो आप सब से कैसे मिलते ... सही बात लिखी है
17 जुलाई 2015
वाह क्या सटीक लिखा है
15 जुलाई 2015