डूबते सूरजको देखकर
लोग घर के दरवाजे
बंद कर लेते हैं
स्वयं को कमजोर
साबित मत होने दें क्योंकि
दुनियां हैं पत्थर की
ये जज्बात नहीं समझती
दिल में हैं जो छुपी
वो बात नहीं समझती
चाँद तन्हा हैं तारों की
बारात में पर ये दर्द
जालिम रत नहीं समझती
दर्द के मौसम में यार नहीं होता
दिल हो प्यासा तो
पानी से गुजर नहीं होता
कोई देखे तो हमरी बेबसी
हम सब के हो जाते हैं
पर कोई हमारा नहीं होता
कहीं अंधेरा तो कहीं शाम होगी
मेरी हर ख़ुशी तेरे नाम होगी
कभी माँग कर तो देखें हमसे कोई
होठों पर हँसी और हथेली पर जान होगी