17 जुलाई 2015
0 फ़ॉलोअर्स
मैं एक छात्र हुँ स्नातक किया हूँ और आगे मंजिल जहाँ ले जाय क्योंकि सब का मालिक एक है |D
सुमित, आपसे तो बस यही कहेंगे, "सितारों से आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क़ के इम्तिहान और भी हैं, तही ज़िंदगी से नहीं ये फिज़ाएँ, अभी सैकड़ों कारवां और भी हैं...अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं; तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा, तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।"
16 जुलाई 2015
सुमित जी , बेहद अच्छी रचना ... थोड़ी दुखद भी
16 जुलाई 2015