खोज से परे हैं खुला आसमान
ढेरो प्रश्न बटोरे है खुला आसमान
ना जाने कितनी किदवंतीय है
ना जाने कितनी भ्रांतियां है
ना जाने कितने ख्वाब है
इस खुला आसमान के साथ
जब भी देखो दिल नही भरता
आंखो में वो नही भरता ,
चारो तरफ बस वही ही दिखता
ना जाने कितना है बड़ा
ये खुला आसमान
लोगो कि उत्सुकता बाध्य
आगे बढ़ने की राह दिखाए
सब के मन को भरमाए
ये खुला आसमान