मुर्दे को मुर्दा ना कहना,
है उसमे बड़ी अकड़ ,
जिंदा जो बन बैठे मुर्दा ,
पहले उन्हे जकड़ ,।
जिंदा रहकर जो जले ,
वह मानुष कैसे होय,
जल जल कर अपना ,
देता सबकुछ खोय,।।
अपना पराया करते करते
जो तोड़े है स्नेह,
अपनो से जो बैर करे ,
वह दुनिया से कैसे तरे,।।