गुजार दिया जिसके याद में ,
अपनी तमाम जिंदगी ,
आज उस नामुराद ने ,
इश्क का पैगाम भेजा है ,।
ऐसा लगता है जैसे उसने ,
कुछ दिन और तड़पने का ,
कर इंतजाम भेजा है ,
इश्क का पैगाम भेजा है,
जब जवां थी मोहब्बत ,
जवां थी हर हसरते ,
तब बेवफाई का ताज भेजा था ,
आज इश्क का पैगाम भेजा है ,।
लगता है जैसे उसे मेरी ,
खुशियों का पता चल गया ,
इसी लिए तो उस बेवफ़ा ने
फिर से इश्क का पैगाम भेजा है,।।