शहर की चकाचौंध में
दिखते सब चका चक
अच्छे बुरे की पहचान
करना नही है आसान
हर ओर छाया उजियारा
ना दिखता कही अंधियारा
सपने लेकर आते है लोग
चकाचौंध में खो जाते हैं लोग
शहर की चकाचौंध में
सभी लगते मन के साफ
कुछ ही पल में बन जाते सांप
कौन किसे है डंस रहा
कौन कहां पर फंस रहा
पता नही चल पाता यहां