ढाई अक्षर प्रेम का ,
समझ सका ना कोय,
जो इसको है समझ गया ,
वह काहे परीक्षा लेय,
जो ना समझे प्रेम को ,
वह प्रेम की परीक्षा लेव,
प्रेम तो अनमोल है ,
उसे तराज़ू में ना तौल,
प्रेम से बचा ना कोई कोना,
प्रेम बिना ये जग है सुना ,
प्रेम को भाषा जो है समझे ,
उसे बड़ा ना कोय,