मेरी खुशी ओस की दो बूंदें जैसे,,,, वैसी ही है वो परियां, मखमली सी बातें गुणों में की है वो ख़ान, उसकी मुस्कराहट हर थकान मिटा देती, बातें उसकी नया ख्याब दिखा देती, सही रास्ते पर वो चलना सिखाती, भुल जाऊं तोनई राह दिखाती, भटका जब भी राहों से,,,याद उसी की आई, दोस्त से बढ़कर है वो,, मां जैसी परछाई, बुलबुल जैसी अदाएं है,,, कोयल जैसी बोली, एक है मिठ्ठी तो दूसरी है तिखि गोली, बिन बात ही मुझको नचाए चाहे वो खुद कुछ ना गाए, उनकी मुस्कान की खातिर कितने नाकों चने चबवाए, मिलती है जादू की पुड़िया जैसे, एक हीरा तो दूजी मोती जैसे। - धर्म वीर राईका