रामकिशन जी सपना के जीवन में चल रही उथल-पुथल की वजह खुद को मान रहे थे।किसी जमाने में राम किशन जी के खुद के घर में किराएदार रहा करते थे और आज उनकी खुद की बेटी किरायदार बन दर-दर भटक रही थी।
उधर सपना भी यही सोच रही थी कि काश उसके पापा ने उसे उसकी पढ़ाई पूरी करने दी होती तो आज वह अपने पति का हाथ बटा पाती। ना कि दर-दर भटक रही होती।
एक और जहां रामकिशन जी का व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी कर रहा था वहीं उनके दामाद का काम दिन पर दिन ठप होता जा रहा था।
अब सपना के प्रति राजेश का व्यवहार बदलता जा रहा था एक तरफ तो अपने ना बनते हुए काम से परेशान था और दूसरी और अपने ससुर के काम की अच्छी पोजीशन की वजह से खुदा ने भी दिया करता था और उसके पापा की हेल्प भी नहीं लेना चाहता था। सपना के लिए यह जिंदगी न जीते बनती थी ना मरते बनती थी। आज की सपना और राजेश का इसी बात पर बहुत बड़ा झगड़ा हुआ और तभी उसके पिता रामकिशन का फोन आया कल उनकी नई दुकान की ओपनिंग है यथा समय दोनों को पहुंच जाना है। यह सुनते ही राजेश और आग बबूला हो गया और बड़ बढ़ाता हुआ चला गया और सपना ने भी बिना कुछ सोचे समझे अपना और राजेश के झगड़े का सारा गुस्सा अपने पापा पर उतार दिया। जिसका नतीजा आज उसके सामने।