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किरणें

19 जनवरी 2022

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  मैं मुरझाया हुआ सा था 
मन किया खिड़की खोली 
उसमें से शीतलहरी  के मिश्रण के साथ
 सूरज की किरणें फुहारे की तरह बरस पड़ी 
मेरे तन पर पढ़ते ही उनकी उन्होंने क्या अजीब खेल दिखाए क्षण भर में मेरे अंदर  रंग आए
 काले बादलों को चीरता 
उन किरणों ने  क्या हिम्मत दिखाई 
मेरी एक इशारे पर 
बादलों  की धुआ मि हटाई 
चारों ओर से अंधेरा छाई 
किरणों की फिर एक बार डेरा आई
आशा आई उत्साह लेकर आई
 उन्होंने क्या गजब अपने-अपने खेल दिखाइए.

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