कोरोना की दूसरी लहर में यह कविता मैंने लिखी। कोराना ने पूरे विश्व को जिस तरह तबाह किया निश्चय ही वह वक्त बहुत खौफनाक था।
सभी बेहद डरे हुए थे। उस वक्त कोरोनावायरस को समाप्त करना दुनिया के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी।
फुर्सत के कुछ पलों में अपने आप को व्यक्त करने का माध्यम है यह। जिंदगी के कुछ अनदेखे अनकहे शब्दों को अभिव्यक्त करने का माध्यम है यह। जब आप बहुत खुश होते हैं या बहुत दुखी होते हैं तो अपने आप से बात करने का माध्यम है यह। समाज में हो रही उथल-पुथल का आपके जीवन पर क्या असर पड़ता है आप उसे किस तरह लेते हैं आपका अंतर्मन उसे किस प्रकार से स्वीकार करता है इसे व्यक्त करने का माध्यम है यह। अपने को कहने दूसरे को समझने वा समाज को जानने का माध्यम है यह है।