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"क्षणिका"सब के सब देख रहे थेलगी हुई थी आग जलता हुआ रावण दर्शनार्थी अस्त ब्यस्तट्रेन की डरावनी चिंघाड़दौड़ती हुई उतावली रफ्तारधुँआँ उड़ा आँखों के सामनेशायद ही कोई देख रहा था।।-1जमीन से जुड़े है हममाटी दीया, अनेक प्रकारअंधकार से लड़ती दीवाली लोग खरीद रहे हैं बेंच रहे हैचहल-पहल, मंहगाई व व्यवस्थाप्रकाश पटाख