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क्षणिका

hindi articles, stories and books related to kshanika


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जाने क्यूँ देखता है वो यूँ छुप छुप कर दूर से
कभ

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मैं हर पल तेरे दिल में रहूगी
चाहे होजाउ तेरे नज़

"क्षणिका"सब के सब देख रहे थेलगी हुई थी आग जलता हुआ रावण दर्शनार्थी अस्त ब्यस्तट्रेन की डरावनी चिंघाड़दौड़ती हुई उतावली रफ्तारधुँआँ उड़ा आँखों के सामनेशायद ही कोई देख रहा था।।-1जमीन से जुड़े है हममाटी दीया, अनेक प्रकारअंधकार से लड़ती दीवाली लोग खरीद रहे हैं बेंच रहे हैचहल-पहल, मंहगाई व व्यवस्थाप्रकाश पटाख

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