मेरा पसंदीदा शौक खाली समय में रुचि पूर्ण और ज्ञानवर्धक किताबों को पढ़ना है। और कभी-कभी कुछ थोड़ा लिखने का शौक है.....
0.0(2)
Bhut acha...
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<div align="left"><p dir="ltr">जाने क्या हुआ आज तुम्हें <br> क्यों इतनी मोहब्बत जताये जाते हो <br> �
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>कभी कभी </b></i><br> <i><b>हमारा आक्रोश </b></i><br> <i><b>एक ऐ
<div><span style="font-size: 16px;">प्यार का मतलब </span></div><div><span style="font-size: 16p
<p dir="ltr"><b><i>खो गई खुशियां </i></b><br> <b><i>उड़ गए सारे गुब्बारे </i></b><br> <b><i>अब न लगत
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>मुझे तैरने दे </b></i><br> <i><b>या फिर बहना </b></i><br> <i><b
<div><span style="font-size: 16px;">प्यार से कही बाते </span></div><div><span style="font-size:
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>बचपन बीता, बीती जवानी </i></b><br> <b><i>और बुढ़ापा छा रहा है</
<div align="left"><p dir="ltr"><b>नव कपल का इतिहास बदल दे </b><br> <b>एक नया एहसास देकर </b><br> <b>
<div><span style="font-size: 16px;">भी क्या दिन थे , </span></div><div><span style="font-size:
<div><span style="font-size: 16px;">घर में रहते , रोते - लड़ते</span></div><div><span style="font-si
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>खामोशियो की भी </i></b><br> <b><i>इक आवाज होती है</i></b><br> <
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>कैसी ये </i></b><br> <b><i>ख्वाहिश है</i></b><br> <b><i>की मिटत
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>सत्य का बोध है,</b></i><br> <i><b>फिर भी सत्य से </b></i><br> <
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>है आदमी करता दिखावा</i></b><br> <b><i>अब वो सहजता है कहाँ</i></
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>निकल कर अपने वहम से तुम बहार</b></i><br> <i><b>अगर मेरी आंखों म
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>जिस सागर में डूब रहा हूं</b></i><br> <i><b>उसकी कोई थाह नहीं </
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>लिखती हूँ मैं</i></b></p> </div><p dir="ltr"><br> </p> <div ali
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>तुम्हें हरदम याद करना भी </b></i><br> <i><b>एक एहसास है</b></i>
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>उठ जाग मुसाफिर भोर भयो..</b></i><br> <i><b>अब रैन कहां जो सोवत
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>जिंदगी में सुख आया हो या दुख, </i></b><br> <b><i>उसने हरदम मेरा
<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>जाने कैसी चाह थी </i></b><br> <b><i>जाने कैसी खोज </i></b><br>
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>आओ चलो एक समझौता कर लें </b></i><br> <i><b>लेकिन इस बार शर्तें
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>जीवन के सब दुख हरे,और बढ़ाये शान </b></i><br> <i><b>हर्षित गर्वि
<div align="left"><p dir="ltr">अब तो बस अंतिम प्रहर है !</p><p dir="ltr"><span style="font-size: 1em
मां से मुझे बहुत कुछ कहना है जो मैंने हमेशा उनसे छुपाया है मां आपके प्यार करने का अंदाज मुझे हर बार जुदा सा लगता है मां ऐसा बहुत बार हुआ दूसरों का प्यार करने का तरीका ना जाने क्यों अजीब सा लग
तेरी भूख तुझे कुछ नहीं लगती तू अपने परिवार की भूख मिटाता रहा है नहीं गिरते कभी तेरे आंसू जब पिता बनकर तू अपना कर्तव्य निभाता रहा है........ सारे जहां की ठोकर खाता रहा है दर्द फिर भी अपने छुपाता रहा
यह सभी फूल भी कितने कमाल के होते हैं ना हर समय अपनी खुशबू बिखरते रहते हैं.... कोई इन फूलों को पैसे कमाने के लिए लगाते हैं तो कोई इन फूलों को पैसों से ही खरीदते हैं... अगर यह फूल जानवरों से बच भी जाए
तुम चले तो क्या गए मेरी जिंदगी ही बदल गई मैंने अपने अशांत मन को एकदम शांत कर दिया तेरे वापस आने का वादा झूठा ही था सही हम सच मानकर ऐतबार करते रहे तेरा इंतजार करते करते यह सदियां बीत गई अब तो तेर
अपनों ने ही बदल रखी हैअपनेपन की परिभाषास्वार्थ बेरुखी संगदिल हैछोड़ दी अपनेपन की आशाधन के पीछे भागे लोगमुंह पर मेरा गुणगान करेंपीठ पीछे ना जाने कितने छूरे चलाएंकिसको ये पता चलेजहां मुख पे मुखौटा
पापा आपके आंगन की मैं एक छोटी सी कली हूं रोक लो ना मुझे आपके पास ना जाने दो मुझे इस घड़ी फिर यह सुहाने दिन कभी लौटकर वापस नहीं आएंगे चाहे फिर रोज कितनी भी कोशिश कर लोगे आप की छांव में हूं प
अपने दिलों का दर्द दिखाते हैं पशु-पक्षी भी बोलते हैं हम इंसानों पर अपनी मौत का इल्जाम लगाते हैं हम भी आंसू को नहीं छिपा पाते हमारे जख्म सहलाने से नहीं भरते हमें भी कोई दवाई दे जाते हम भी इस दुनिया मे
प्रेम को मीत बनाओ संगीत को गीत बनाओ 🎶🎶🎶🎶🎶🎶🎶🎶 सा,रे,गा,मा,पा,धा नि,से, जीवन में राग बनाओ 🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵 संगीत के सात स्वरों से, मधुर-मधुर प्रेम बनाओ 🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷 दो दिलों के मेल से प्रेम
कभी तुमने मेरा हाथ छोड़ा था आज मैं तुम्हारा साथ छोड़ती हूँ आज जो तुम वापस आने पर आंसू और दर्द सह रहे हो वह दर्द मैंने भी सहा था जब तुम मेरा हाथ छोड़ कर चले गए थे मैंने तो कभी तुम्हें दर्द में देखना नह
हद - बेहद मोहब्बत थी उनसे मुझको मैं प्यार करती थी वो नजरअंदाज करते थे मुझको.. खड़ी थी मैं उन्हें अपनी जीत का जश्न बताने के लिए मेरी जीत का जश्न सुनकर नजरअंदाज कर दिया मुझको.. अभी हंस भी ना पाई थी और
मोहब्बत उनसे अथाह हो गई रिश्तो का जबर कारोबार हो गया..... 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 जरूरत इंसान को बौना कर गई दर्द का कितना बेहद अंबार हो गया..... 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 भरोसा भी अब ढकोसला हो गई मुसी
इस समुंदर को मुझे दिखाना था इसलिए रेत का घर बना लिया मैंने.... अपने सपनों को जगा लिया मैंने खुशी से बिता लिया दिन मैंने..... परछाई भी न अब ढूंढे मुझे अपने को रेत में छुपा लिया मैंने..... खुशियो
ऐ बरसात तुझे भी देख लेंगे कभी मेरे आँगन में बरसना तेरी बूंदो से आंखें सेंक लेंगे कभी मेरे आँगन में बरसना .. वक्त का हर दौर बरसात की बूंदे बनकर जैसे बरस रहा है इशारे समझ थोड़ा खेल लेंगे कभी मेरे आँगन
जब हम छोटे हुआ करते थे तब कितना अच्छा होता था कितनी तकरार मस्ती वो प्यार फिर भी हम सच्चे हुआ करते थे वो शिक्षक भी अपने लगते थे पढ़ाई तो तब भी थी पर इतनी कठिनाई नहीं थी उनकी डांट भी प्यारी लगती थी
देखो यह बारिश जमकर कैसे बरस रही है झूम झूम कुछ गुनगुना रही हैं ये बारिश की बूंदे.. 🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦🌦 ये नमीं जैसे पल पल याद दिला रही है किसी की हौले हौले दिल धड़का रही हैं ये बारिश की बूंदे
इस सावन में तुम बरस जाना बारिश की बौछार बनकर आ जाना गजलों के शब्द बन कर आ जाना शायरों के किस्से बनकर घुल जाना मेरे गीतों को निखारनें आ जाना शीत ऋतु में ग्रीष्म में बनकर आ जाना कोयल की तुम मधुर वाणी
ए जिंदगी न हो नाराज कि मैंने क्यों कुछ ना पाया भला क्यों लुटा दिया सब कुछ परायों पर क्यों मैंने अपने लिए कुछ नहीं बचाया तू ही बता क्या वाकई में हूं तेरी मुजरिम जो मेरे हालत देख तुझे मुझ पर तरस आता ह
मैं आपके आंगन का फूल हूं मुझे पंछी की तरह ना उड़ाओ पापा दिल मेरा सहम जाता है कि जब छोड़कर आपको दूर जाना है आपके आंगन के फुल को खिलने दो मुझमें क्या कमी रह गई जो मुझे आप सब से दूर जाना है मुझे मेरी
प्यार तो बहुत था तुमसे,पर मां पापा का प्यार भारी पड़ गया वफादार तो हम बहुत थे मां पापा की दुआएं असर कर गई.... मां पापा से रिश्ता तोड़ कर तुमसे रिश्ता ना बना पाएं हां शायद इतने कसूरवार हैं हम तेरे कि
प्यार का इम्तिहान देते देते थक गई हूं उन्हीं रिश्तों में कोई बोझ अंजान हुई हूँ..... भूल गए हैं जब से वो अपने प्यार को गुजरे हुए वक़्त का आज निशान हुई हूँ ..... प्यार के इम्तिहान से परेशान हुई ह
बेवफा मोहब्बत से थक गए अब रोने दो आँसू निर्दोष है इन्हें बस बहने हि दो..... 💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔 मोहब्बत में अब गम का अंधेरा छाया है जख्म मोहब्बत के भी सीने दो...... 💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔 चुप्पी छ
जिम्मेदारियों का बोझ पाकर ख्वाब अधूरा हो गया वह बचपन का खेल ना जाने कहां गुम हो गया..... वह गांव और गलियां सब अजनबी हो गया वह सब मेरे दोस्त और लड़कपन जाने कहां गया...... मिट्टी और खपरैल का वह घरौंदा
तुम मिले तो खुशियों की बहार आई थी समझ नहीं आया वह कैसी मोहब्बत थी.. अहम था मुझे कि उसकी जान थी उसके दिल में एक मेहमान सी थी .... कल तक जिसके लिए सब कुछ थी आज मेरी हर बात से उनको नफरत थी .... एक पुरा
कितने प्यारे रिश्ते होते हैं जो हमें किस्मत से मिलते हैं अपनी यारियां को जन्नत बना देते हैं मेरे हॉस्टल की टोली में बहुत अच्छी यारियां मिली कुछ तो खास दोस्त बने और कुछ ने टीचर से डॉट खिलवाई कभी रोन
प्यासी धरती की बूंदे बनकर सुंदर निर्मल वाणी बनकर अपने चेहरे पर खुशी लेकर मेरा प्यार बनकर आ जाना। 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 ग्रीष्म ऋतु में शीत बनकर अमावस में चांद बनकर कोयल की मधुर वाणी सुनकर मेरे लिए
यह कैसा दौर है सफर का अब मिले भी या ना मिले , एक अनजान सफर में चलने की गुजारिश सी हो गयी ..... देखो यहां कौन किसके लिए रुका है इस जहां में , आगे बढ़ते रहने की फितरत जुनून सी हो गयी... सपनों के
यह दुनियादारी मुझे समझ नहीं आती मैं फिर से उस बचपन में खो जाऊं....... किसके लिए मैं अपनी राह बदलते रहूं क्या गुनाह करूँ जो बेगुनाह हो जाऊं...... यह दुनिया मुझे अनपढ़ समझती हैं ऐसा कौन सा शब्द ल
अब शब्द ही नहीं मेरे पास एक रात ऐसी हो गयी सफर इस कदर मशगूल हैं जिंदगी मदहोश हो गयी... ख्वाबों के परिंदें भी अब उड़ते रहेंगे दिल के आसमानों में अब ख़यालो की दुनिया पे सारे ख्वाब दिलकशी हो गयी... तकदीर
कितना दुश्वार था तेरे बिन रहकर ये हुनर रखते हैं मुझ से ही फ़ासला रखना मुझे अपनाना आम बात है.... दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद नहीं हैं भूल जाएगा ये इक दिन तेरा याद आना आम बात है.... तेरे
तुम चांद बनकर निकलना हम रात भर तुम्हें देखेंगे किसी दिन तुम ना निकलना वो लम्हें न आने देना........ तुम गुस्सा हो जाओ मुझसे हम तुम्हें मना लेंगे मैं तुम्हारी एक झलक के लिए तरसु वो लम्हें न आन
तुझे हक है कि मुझे तू हासिल कर ले वरना मुझे मेरे इश्क़ तू हासिल हो जा........ बरसते बारिश का सावन हो जा तू मुझ में इस तरह से शामिल हो जा......... तस्वीर को मेरी मुक्कमल कर ले मुहब्बत में मेरी ज़रा बिसमि
जिंदगी बरसात की रात की जैसी होती जा रही है उम्र की तमाम बूंदों को निगलती ही जा रही है..... जलती है अंधेरों में रोशनी वक्ते स्याह रातों में तूफानों की तेज हवाओं से बदलती ही जा रही है....... बरसात
टूट गई अब कच्चे धागे की डोर बहुत कोशिश की पर जोड़ नहीं पाये ....... वह देते रहे हमेशा अपने दर्द के जख्म हम शुरूर में थे कुछ ठान नहीं पाये ....... तलाशते रहे हम तो अपना ही वजूद , कातिलों के शहर में निश
बचपन की यादों का त्यौहार है राखी घर घर में खुशियों का उपहार है राखी भाइयों का सम्मान है राखी दिलों का पवित्र विश्वास है राखी लड़ते झगड़ते मीठी नोकझोंक है राखी मीठी मीठी शरारतों का जोड़ है राखी भा
यदि जिंदगी जश्न है तो फिर यह दुआ क्यों यदि सब कुछ तेरी रजा में है मेरे मालिक तो फिर भलाई की दुआ क्यों बड़ी शिद्दत से बूंदे बरसती है और वह ढूंढते हैं बचने का रास्ता गलतियाँ करे जो बन्दा ल
प्रेम मेरा सच्चा था सच्ची मेरी प्रीतकिस्मत मेरी अच्छी होती तो श्याम यूं न जाते छोड़ राधा अश्रु बहाती रहीकोई आस बँधाये नप्रीत के सारे बंधनों को तोड़ राधा को अकेला छोड़कर श्याम
हम खुश थे तुमने आकर हमें गम दे दिया हम डूबने ही वाले थे पर सामने किनारा था...... माना कि आज उसकी मोहब्बत किसी और के लिए है लेकिन मेरे दिल में तो उसके लिए ही प्यार था...... किसे सुनायें&nbs
सफर सी हुई है जिंदगी हर दौर चौराहे सा लगता है किसे कहे हम अपना हमनजी हमसफर अब तो हर कोई बेगाना सा लगता है सोचा था बचपन में सब साथ रहेंगे बड़े होकर एक नई सौगात रखेंगे मिलकर करेंगे समाज का नवनिर
क्यों करता अपनी मनमानी जंगल काट बनाये शहर प्रकृति का कोप भाजन बने संतुलन हेतु मचाये कहर निज स्वार्थ में खोया मानव जीव जंतु की न सुन पुकार खुद के कर्म भोगे वो जब प्रकृति चाहे हाहाकार सच्चा
इस बेमतलब वाली दुनिया में अपना आत्म सम्मान होना चाहिए क्रूरता, कपट भेदभाव के बिच सच्चा इंसान होना चाहिए....... किताबों का लिखा ज्ञान ना हो पर व्यवहारिक ज्ञान होना चाहिए क्या हुआ लाखों की भीड़
ए जिन्दगी एक नयी शुरुआत करते हैं तुझे कुछ और भी ख़ास करते हैं साथ उनका छुटा तो गम नहीं प्यार जो मिला था वो तो कम नहीं चलो खुशियों की मिठास भरते हैं एक नए सफर की शुरुआत करते हैं कुछ यादें हो गई है
प्यार प्यार कहके तुम नफरत निभा गए विश्वास तुम मेरा कुछ ऐसा तोड़ गए......... नाराजगी तो ठीक थी पर तुम क्रूरता दिखा गए गिरगिट रंग बदलता है तुम अपना रंग बता गए....... मेरे इस प्यार पर इल्जाम तुम लगा गए
सोचती हूं तुझसे दिल का कनेक्शन मिलाऊ लेकिन अल्फाज नहीं मिलते सोचती हूं तुझसे दिल ए हालात बयां करूं लेकिन शब्द कम पड़े जब भी जताना चाहा दिल के जज्बातों को आंखों के आंसू भी कम पड़े ना तू सुनता है
सुनो,चांदनी रात में सितारों की चादर बिछा चाँद का तकिया लगा खुली आँखों से मन की जमीन खोदते हैं सुनो, मन की धरा पे एक सपना बोते हैं दादी नानी की सीख याद कर, नई पीढ़ी को देते हैं