क्या लिखू
क्या लिखू ,
अब शब्द नहीं मिलते ,
जब ढूढ़ता हुँ ,
अशब्द ही मिलते ,
जब देखता हुँ ,
विश्व शब्द हीन दिखता ,
विश्व में शब्द का भण्डार है ,
फिर क्यों छाया यह अंधकार है ,
कहाँ गई वह विचारधारा ,
वह शब्दो की रेखाए ,
विश्व में अपशब्दो का भण्डार बढ़ता ही जाता ,
जेसे शब्दो कोई निगलता ही जाता ,
उच्च विचारो की प्रवत्ति ,
अब शून्य हो चुकी इस विश्व में ,
समुद्र है अशब्द का शब्द अब बूँद में इस विश्व में ,
क्या लिखू अब शब्द नहीं मिलते इस विश्व में ,