कितना सुकून तेरी बाँहो मे, आज प्रेम साकार हुआ , तेरी आहों मे , ये काव्यांजलि निग़ाहों मे तेरी हर काव्य संकलित चंचल चपला सी तू , मेघो से उतरती दिखती ये कव्यंजली ह्दय प्रेम घुटी पीकर शि