एक नया रूप
नारी का देखो
कभी थी बेटी
किसी आँगन की
जो बिक गयी
दानव के हाथो
एक नया रूप
मानव का देखो
वो कोठे में बैठी
किये सिंगार
बिक रहा जिस्म हर रात है देखो
नारी का यह अवतार तो देखो
रोता ह्दय
चहरे पर मुस्कान
यह देखो
एक नया रूप
नारी का देखो