मन भी बड़ा चंचल ,
कभी उदास ,
कभी निराश,
कभी टूटती आशाए,
कभी उत्त्साह की लहर दिखाए।
कभी पहुँच जाए उन यादों पर,
जो दिल मे एक ख़ुशी ले आए,
कभी कभी अतीत पन्नें ,
बार बार उही खुलवाएं
कभी बचपन की उन गलियो मे,
जाकर अपनों से मिल आए,
कभी धुंधली सी तस्वीरें ,
उन शरारतों की झलकाए
कभी माँ के हाथ की रोटी का
वह स्वाद ले आये,
कभी लोरियों की याद ले आए
कभी वो आँचल की ठंडक,
कभी माँ के गोद की याद दिलाये,