घनी अँधेरी रात्रि ।भयंकर तूफान चल रहा था ।बिजली की कड़क के साथ घनघोर बारिश प्रारंभ हो चुकी थी ।वह अपने घर से जंगल के रास्ते बेतहाशा भागती जा रही थी ,अपने सत्रह साल के बेटे के साथ ।मौसम बडा़ ही खराब था और वो और उसका बेटा बस भागते ही जा रहे थे ।वो उनका पीछा कर रहा था ,और वो घने अँधेरों का फायदा उठाकर बस भागती जा रही थी ।भागते भागते गिर कर जख्मी हो गयी थी पर जैसे रुकना सँभव नहीं था।माँ अगर हम ऐसे साथ ही भागते रहे तो पकडे़ जा सकते हैं आप एक तरफ भागो मैं दूसरी तरफ ।उसके बेटे ने उससे कहा था और वह दूसरी दिशा में दौड़ गया था ।
उसके पांवों से खून बहने लगा था पर ये समय बैठकर दर्द पर विलाप करने का नहीं था ।उस वेदना में भी वह भागती जा रही थी ,भय था कि कहीं पकड़ न जाये ।
हे ईश्वर ,रक्षा कर मेरे बेटे की ।हम दोनों को सफल होना है।बहुत थक गयी थी वह हाँफने लगी थी ,तो एक पेड़ के नीचे दो मिनट को रुक गयी थी ।बारिश रुकने का नाम न ले रही थी ।आज कुछ भी करके मुझे और मेरे बेटे को पहुँचना है ,वह सोचने लगी थी तब तक किसी के पैरों की आहट सुन पर वह काँप गयी थी कि कहीं पकड़ न जाये।
अगर ऐसा हुआ तो सब खत्म हो जायेगा और उसके लिये वो स्वयं को कभी क्षमा न कर पायेगी ।
क्या करे ?वो पेड़ की ओट लिये बहुत दबे कदमों से पीछे की तरफ बढ़ रही थी ।उसने पैर थोडा़ पीछे किया तो महसूस हुआ वहाँ पर एक बडा़ सा गड्डा जैसा था ।वह उसी में कूद गयी ,और साँस बाँधकर महसूस करने लगी कि वो चला गया कि नहीं ।
पैरों की आवाज उसी तरफ आ रही थी । उसे बहुत जोर की छींक आने वाली थी ,पर उसने अपने हाथ से कसकर नाक दाबकर छींक रोक ली थी ।
थोडी़ देर बाद आवाज आनी बंद हो गयी थी जिससे लग रहा था कि वह दूसरी तरफ निकल गया है ।वो गड्डे से आहिस्ता से निकल कर देखी तो कोई न दिखा ।
पर उसके भागने की आवाज से जैसे वो जान गया था और उसी तरफ आ गया था ।अपनी टाॅर्च की रोशनी डाले मगर उसे वो कहीं न दिखी थी ।सुनाई दे रही थी तो बस उसके भागने की आवाज ।सूखे पत्ते जो बारिश में भीग चुके थे और मिट्टी भी इतने पानी की वजह से बहुत गीली हो कर फिसलन पैदा कर रही थी ।
वह भागती गिरती पड़ती भागी जा रही थी ।देखो ,रुक जाओ वरना अच्छा न होगा ।मुझे तुम नहीं बेटा चाहिए और उसे मैं ले जाकर ही रहूंगा ।
मैं तुम्हारे पीछे नहीं भाग रहा हूँ ,मुझे बेटा चाहिए ,वो किधर भाग गया है ?पर कब तक उसे तो खोज ही निकालूंगा ।
ये चूहे बिल्ली का खेल कुछ समय का है वो मेरे हाथ लग ही जायेगा और मैं उसे लेकर चला जाऊंगा ।
मुझे मेरे बेटे को इसके हाथ नहीं लगने देना है ।वो किस तरफ भाग गया है !हे ईश्वर वो इसके हाथ न लगे तो सही है ।तेरे रहते ये अनर्थ नहीं होना चाहिए ।तू ही सब सँभाल।मुझे भी पहुँचना है समय रहते ।ये जंगल और इसके रास्ते ,सड़क मार्ग एक बार मिल जाये तो अच्छा है ।
बारिश तू रुक जा ना ।
देख तू जहाँ भी हो मेरे सामने आ जा वरना तेरी माँ को गोली मार दूंगा ।वो मेरे कब्जे में आ गयी है ।
ये ,झूठ क्यों बोल रहा है ?मैं तो उसकी पकड़ में अभी तक न आई ।तो ये झांसा दे रहा है ताकि मेरा बेटा घबराकर इसके सामने आ जाये ।नहीं ,मेरा बेटा भावनाओं में पड़कर सामने न आ सकता ।नहीं,उसे ऐसा नहीं करना चाहिए ।
वो दौड़ती हुयी गीली मिट्टी पर फिसल कर गिरती हुयी चली गयी थी ।बायां पैर जिसपर चोट लग गयी थी वो अब जवाब दे रहा था मगर वो हिम्मत न हारना चाहती थी ।हिम्मत हारने का मतलब था कि सब खत्म हो जाना जो उसे बिलकुल भी मंजूर न था ।
अभी तक कुछ पता न चल पा रहा था कि बेटा उसकी गिरफ्त मे आ गया या नहीं ।
वो एक बडे़ से पेड़ के पास से निकली तो उसकी शाखा उसके पैरों में फंस जाने से वह गिर पडी़ थी और उठने के प्रयास में उसकी साडी़ का पल्लू वहीं कांटों में फंसकर फट चुका था ।कांटे उसे जहाँ तहाँ चुभ गये थे ।
ऐसा लगा था कि वह उसकी तरफ आ रहा है ,उसने पलट कर देखा तो कोई बडा़ जानवर था ।
वह घबरा कर जैसे तैसे पेड़ पर चढ़ने लगी थी ।वो पेड़ जिसपर किसी ने मचान बनाया था शायद ।वह उस मचान पर बैठ गयी थी ।जानवर नीचे खडा़ जैसे उसकी ही प्रतीक्षा कर रहा था ।
तब तक लगा कि किसी ने उसने पकड़ने का प्रयास किया ,उसने पलटकर देखा तो वही था ।हा!हा!हा!करती हुयी उसने उसके हाथ में जोर से काटकर पेड़ से कूद पडी़ थी ।नीचे जानवर था मगर आज मृत्यु से तब तक मोर्चा लेना था जब तक अपने उद्देश्य में सफल न हो जाये ।जानवर भी किसी दूसरी तरफ चला गया था और फिर वह भागने लगी थी कि कहीं वो पकड़ न ले ।इतना तेज अपने जीवन में वह कभी न भागी थी ।शरीर जवाब दे रहा था मगर आज कैसे भी करके सफल होना ही था ।चिंता भी खाये जा रही थी कि बेटा पकड़ में न आ जाये ।
ये अँधेरी रात जैसे उसे छुपाने में पूरी भूमिका अदा कर रही थी ।
उसने टाॅर्च को कसकर हिलाया जो अकस्मात जलना बंद हो गयी थी ।
अब इसे क्या हो गया ?वह बड़बडा़या ।इसे भी अभी खराब होना था ।आज मुझे किसी भी हालत में बेटे को अपने साथ ले जाना है ।ये समझती क्यों नहीं?
कहाँ भाग गयी है और बेटा तो जैसे लगता कि गायब ही हो गया ।
आज कैसे भी करके उसे साथ ले जाना है मुझे ।
शेष अगले भाग में