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लाईफ स्टाइल

16 सितम्बर 2022

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लाइफ स्टाइल के माध्यम से लाइफ से जुड़ी कुछ बातों का इस पुस्तक के माध्यम से बताने जा रहे हैं। नॉर्मल लाइव बिजी लाइफ प्यार मोहब्बत लाइफ बिजनेसमैन लाइव मस्ती मजाक और भी बहुत सारी लाइफ होती है जिनको हम खुलकर जी नहीं पाते लाइफ में सब कुछ होता है पर जिंदगी सबको मौका नहीं देती बार-बार जीने के लिए लाइट के माध्यम से हम उन छोटी-छोटी घटनाओं या फिर पर्सनल लाइफ को जानने का प्रयास करेंगे उम्मीद है कि इस लाइफ स्टाइल की माध्यम से पुस्तक के माध्यम से थोड़ी बहुत जानकारी दी जाएगी लाइफ में मुश्किलो ना करना पड़े बहुत सारी होता क्या है इतनी जटिल हो जाती हैं यह कहानी शुरू होती है एक वृत्त बूढ़ी मां से और उसका बेटा और उसका पति जब बरसातों का दिन था खूब जोर जोर से वर्षा हो रही थी पानी जहां तहां भर चुका था बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी ऐसे में बूढ़ी मां बहुत घबरा गई थी डरावनी डरावनी आवाज ऐसी आ रही थी घर में उसका बेटा और उसका पति भी नहीं था वह बिल्कुल अकेली थी अचानक बिजली खूब जोर जोर से चमकने लगी जोर-जोर से डरावनी सी आवाज होने लगी एकदम सन्नाटा छा गया और रास्ते से आने वाले को देखकर बहुत ही घबरा जाती थी वह कहती थी कि हे भगवान हे भगवान अब तो तुम्हारा ही सहारा है बार-बार मंदिर में घर के मंदिर में ही भगवान को याद करती रहती थी लेकिन उसको खबर लग गई कहीं से भी उसका पति और उसका बेटा नदी के उस पार फस गया है नदी का बहाव बहुत ही तेज था दूर-दूर तक पार करने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था और वह और ही घबरा गई आसपास देखती तो कोई दिखाई नहीं दे रहा था दूर-दूर तक इतने में एक आशा की किरण उसके घर पर पहुंची और उसने उस व्यक्ति को अपनी दुख भरी कहानी सुनाएं कहने लगी कि सुनो बेटा सुनो बेटा मेरे घर में बहुत ही ज्यादा पानी भर चुका है और जहां जहां तक दिखाई दे रहा है वहां वहां तक पानी बहुत ही गहरा और बुरी तरह से दीवारों को तोड़ फोड़ते हुए मेरे घर तक आ पहुंचा है और मेरा सारा सामान पानी में डूब गया है अब बेटा तुम बताओ मैं ऐसे में कहां जाऊं बेटा ने कहा मां घबराओ मत इस समय में मौसम साफ हो जाएगा और एकदम से रास्ते आने-जाने शुरू हो जाएंगे और नदी का बहाव भी बहुत ही कम जाएगा और तुम अपने बेटे और पति से मिल पाओगी इतने में सुनकर गांव से दूर दूर से आवाज होने लगी बहुत ही डरावनी सी सुनो सुनो गांव में एक भूत का साया है यह सुनकर बूढ़ी मां बहुत ही डर गई और जैसे तैसे है घर में जाकर छुप गई और सुनते ही उसके मुख से कुछ भी नहीं निकला बहुत जब गांव वालों को मालूम हुई तो गांव वालों ने मां को देखा और बोली की है माता कि अब मत घबराओ हम हैं ना आने दो जो होगा वह सामने आएगा यह बात सुनकर थोड़ा बहुत बूढ़ी मां बहुत ही खुश होने लगी और तभी से आगमन होता है उसके पति और बेटा का और जब तक मौसम भी साफ हो रहा था उतने में ही भूत का साया गांव में घूमने लगा दूर-दूर तक सन्नाटा छा गया एकदम से एक ना एक दिन गांव से एक व्यक्ति गायब होता जा रहा था बहुत जब मालूम हुई माता को तो बहुत ही बाबू कोई और उन्होंने कहा सुनो सुनो गांव वालों मेरे पास ऐसी एक किताब है जो काफी 80 वर्षों से मेरी पौधों से चली आ रही है इधर उधर क्यों जागते हो ईश्वर में आस्था हो तो एक बार मंदिर जाकर देखो और वहां पर कई रहस्य माई किताबें पढ़ी हुई है क्या मालूम है हमें भी एक आद उसमें भूत भगाने की कोई भी किताब मिल जाए ए बात सुनकर गांव वाले तुरंत ही अपने गांव के मंदिर में जाते हैं और उन्हें और मंदिर में जाते ही मंदिर के दरवाजे खोल देते हैं और जब देखते हैं तो मंदिर में जहां-तहां किताबों का ढेर लगा हुआ था और जहां-तहां मूर्तियां बिक्री हुई पड़ी थी मानो यह शासन संबंधी लगा था और अचानक एक लाश ऊपर से गिरती हुई उनके आगे गिरी हुई थी जब देखा तो वह लॉस उसी बूढ़ी मां की थी देखकर अचंभित हुए यह तो हमने उनके घर में छोड़ा था लेकिन यहां तो इस की लाश पड़ी हुई है देखकर गांव वाले बहुत ही घबरा गए और मंडे से जहां-तहां भागने लगे जहां-तहां भागने लगे बचाओ बचाओ बचाओ कॉपी आवाज और जब पति और बेटा दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे थे तब गांव वालों ने उन्हें बुलाना जरूरी समझा और जब नदी का बहाव बहुत ही तेज था तो उस पर जाने की किसी में भी हिम्मत नहीं थी यह बात जब गांव के मुखिया को मालूम हुई तो मुखिया ने तुरंत ही पंचायत लगानी शुरू कर दी और पंचायत में दूर-दूर से व्यक्तियों का आना शुरू हो गया और जब देखती है तो मंदिर के रहस्य की बात अनसुनी कर रहे थे लेकिन जब सरपंच मुखिया ने जब देखा तो है बहुत सच साबित हुई कहने को तो बहुत कुछ था लेकिन मुखिया कुछ कह नहीं पा रहे थे मुझसे मोनू मुखिया के मुख से कुछ ऐसी डरावनी सी आवाजें सुनाई दे रही थी मनुष्य मुखिया को सब कुछ मालूम हो एकदम से लेकिन गांव वालों को कुछ भी मालूम नहीं था कि क्या हुआ होगा आवाज जब उसके पिता और पति को मालूम हुई तो उन्होंने देखा तो उसकी बूढ़ी मां उसके घर में थी यह देखकर बहुत ही अचंबा होगा यह कैसे हो सकता है गांव वाले तो कह रहे थे कि बूढ़ी मां मंदिर में लाश की भांति डरी हुई है यह बात जब गांव वालों को मालूम हुई तो पट्टा पट्टा हो गए जाने क्या होने वाला है हमारे साथ है तो भगवान ही जाने कब क्या घटित हो जाए यह कह पाना असंभव है चलो चलो हम एक साधु के पास चलते हैं साधु जी बताएंगे कि आखिर अहो कैसे रहा है साधु की बहुत खोज में बहुत से आदमी गांव से मैं आने लेकर चल चल पड़ते हैं रास्ते पर दूर-दूर तक इधर-उधर ढूंढते रहते हैं लेकिन साधु का कोई पता नहीं लगता ऐसे में क्या होता है तो आइए और देखते हैं कि साधु भाई है या नहीं और सुनते हैं उन्हीं के मुख से कुछ कड़ियां और जो पूर्वजों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने की बात कह रहे थे वह दोबारा जुड़ने की बात करने को कह रहे थे ऐसा तभी होता है जब कोई व्यक्ति 1000 वर्षों से मर गया हो और उसकी आत्मा भटक रही हो साधु की बात सुनकर बहुत ही अचंभित हुए बहुत ही भयभीत हुए ऐसे कैसे हो सकता है हमने तो कल भी बूढ़ी मां को उसके घर में देखा था और जब मंदिर गए तो उसी बूढ़ी मां को उसी मंदिर में गिरते हुए एवं मरते हुए देखा है ऐसे कैसे हो सकता है ऐसा दुश्मन कहां से आया है इसका निवारण तो आप ही कर सकते हो साधू 
 हमें बता दो कि आत्मा हमारे गांव में कैसे भटक रही है जब साडू जी ने बताया तो सभी अचंभित हो गए की है आत्मा कॉपी 1000 बरसों से भटक रही है तुम्हारे गांव में और उसका साया है उसकी आत्मा को शांत कराने के लिए हमें कुछ रहस्यों की जरूरत है जो गांव में कुछ घटित हुई हो ऐसी कुछ बातें और कुछ ऐसी निशानियां जो किसी के साथ हुई हो या फिर कुछ ऐसी बातें जो किसी की लड़ने झगड़ने से या फिर या फिर खुदकुशी की हो या पर कुछ भी ऐसा हुआ हो तो आपके गांव में उसका वर्णन विस्तार से बताओ आवाज सुनकर सभी गांव वालों ने उस घटना को घटित होते हुए बताया कि हमारी गांव में एक युवक थी एक व्यक्ति से काफी प्यार करती थी उनके घर वालों ने उनको एक दूसरे से मिलने नहीं दिया और उन्हें ताने मार मार कर गांव से बहुत दूर भेज दिया और बहुत ही गंभीरता से उन्होंने अपने अपने बच्चों को भी चौराहे पर जिंदा जला दिया आवाज सुनकर साधु गांव वालों से कहने लगें उन्होंने बहुत ही बुरा किया उसके साथ ऐसा नहीं करना था यही कारण है कि आत्मा का साया है और कुछ हो नहीं सकता उपाय है लेकिन करने के लिए बहुत कुछ लगेगा क्या आप कर पाओगे गांव वालों ने एकदम हा हा हा हम कर पाएंगे नहीं तुम नहीं कर पाओगे किसी भी घटना को किसी भी घटना को बैठने से पहले उसका निवारण करना होता है तुमको मालूम नहीं क्या नहीं नहीं हमें मालूम है कृपया करके हमें बताएं
जो कभी न भर पाएं ऐसा भी एक घाव है,
 जी हाँ…उसका नाम लगाव है!!

जो जाहिर करना पड़े वो दर्द कैसा और जो दर्द ना समझ सके वो हमदर्द कैसा…

नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
 रिश्तें निभाना बड़ा नाज़ुक सा हूनर होता है

दिल से मिटा न पाओगे मैंने कहा था,
 तुम किसी और के होकर भी मेरे ही रहे।

तक़दिर के हम सबसे पसंदीदा खिलौना है। 
वो रोज़ जोड़ती है हमें फिरसे तोड़ने के लिए।

परखा बहुत गया मुझे, लेकिन समझा नही गया।

आईने के सामने खड़े होके खुद से ही माफ़ी माँग ली मैंने…सबसे ज़्यादा अपना ही दिल दुखाया मैंने, औरों को ख़ुश करत करते।
हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतने हुए कि दो बूंद आँसूओं ने डुबो दिया।

बेहद हदें पार की थी हमने कभी किसी के लिए, 
आज उसी ने सिखा दिया हद में रहना!

अगर न लिखते हम तो कबके राख हो गए होते,
दिल के साथ साथ रूह में भी सुराख हो गए होते!!

तेरी उम्मीद पे शायद न अब खरे उतरें हम,
इतनी बार बुझे हैं कि जलना भूल गए!!

समझकर भी जो न समझे उसको समझाकर भी क्या होगा…

तजुर्बे ने एक ही बात सिखाई है; नया दर्द ही, पुराने दर्द की दवाई है!

आज एक ख़्वाब ने मुझसे पूछा..
“पूरा करोगे या टूट जाऊँ “

जब-जब ‘मुझे’ लगा मैं तेरे लिये खास हूं,
तेरी बेरूख़ी ने ये समझा दिया, मैं झूठी “आस” में हूं…
कसूरवार किसी को क्या समझे गलती तो अपनी थी,
ज़िंदगी बेकदरों को सौप दी, और प्यार लापरवाह से कर लिया।

राख होने लगी जल-जल के तमन्नाएं,
 मगर हसरतें कहती है…कुछ और भी अरमाँ होंगे

रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे, 
जब हर साजिश के पीछे अपने निकलेंगे।

दुनिया धोखा देकर अक्लमंद होती गई…
और हम भरोसा कर के गुनहगार हुए जा रहे…

जिंदगी तू भी कच्ची पेंसिल की तरह है, 
हर रोज थोड़ी कम होती जारही है।

आज खुद को इतना तन्हा महसूस किया,
 जैसे लोग दफना के छोड़ गए हो…

ए बुरे वक्त! जरा अदब से पेश आ…
वक्त ही कितना लगता है वक्त बदलने में!!

ऊपर वाले मेरी तक़दीर सम्भाले रखना,
 ज़मीन के सारे खुदाओं से उलझ बैंठा हूं मैं।

हर रोज चले जाते हो तुम यादों की तिजोरी यहीं छोड़ कर।
खज़ाना खुशियों का तमाम है पति-पत्नी
ताज़ी सुबह और ढलती सुहानी शाम है पति पत्नी
वैसे तो सुनी होगी विश्वास की कई मिसालें
मगर विश्वास का दूसरा नाम है पति पत्नी
पति पत्नी के रिश्ते में विश्वास को कभी टूटने मत देना
झूठ की धूल को रिश्ते में जमने मत देना
होता है पति पत्नी का रिश्ता सबसे खास
गलतफहमी में इस रिश्ते को टूटने मत देना

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