पुरुष मनोवृति और स्त्री विमर्श को रेखांकित करती एक अद्भुत कहानी है...कहानी बड़ी होने के कारण इसे 5 भागों में विभाजित किया है... ये मेरा आप से वादा है कहीं भी कहानी से दुराव महसूस नही करेंगे..💐💐
0.0(0)
2 फ़ॉलोअर्स
6 किताबें
🙏🙏यह कहानी एक स्त्री के अस्तित्व की एवं एक पुरुष के मनोवृति की है। मित्रों मैंने पूरे हृदय से मानवीय प्रवृति एवं उसके कमजोरीयो को उजागर करने की ईमानदार कोशिश की है...चूंकि कहानी बड़ी है इसलिये इसे म
लम्बी कहानी...भँवर भाग-२ अब तक आप लोगों ने पढ़ा की रेणुका पार्क से बचपन के ख्याल में खोई हुई बाहर निकलती है तभी उसे एक फोन आता है...जो शालिनी को पूछ रहा..रेणुका अपने घर पर मनीप्लान्ट कों देखकर अपने अत
लम्बी कहानी--भँवर, भाग-३ ...अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की रेणुका को एक फोन आता है जो की शालिनी को पूछ रहा है, उधर एक व्यक्ति बनारस के घाट पर बैठा है जिसके पास एक विखरा मोबाइल पड़ा है.. अब आगे..... "अभी तो
भाग..३ से आगे... अभी इधर कुछ दिन से इंद्रदेव का क्रोध शांत भले हो गया हो किन्तु,नदियाँ तो अब भी अब भी अथाह सागर सी फैली हुई हैं। जिन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे सबकुछ अपने साथ बहा ले जाना चाहती हों.