इश्क़ सोच के कित्ता? जो तस्वीर में नहीं है। वो याद में है। ख़्याल में है। किसी हसरतों के शहर में कोतवाल से उलझता। गुलाबी फूल टपकते हैं, बारिश के बाद, चुपचाप। आँख में जज़्ब होता है आँसू। क़िस्से से गुमा हुआ है उसका नाम। उसका किरदार। हम घर से निकलते हैं सिगरेट ख़रीदने और किसी तन्हा पेड़ को देख कर आह भरते हैं। बारिश में चुप भीगता। रोशनी में लिखता चिट्ठियाँ। और हम, आने वाले कल से पूछते हैं, रूह पे जिसके नाम का टैटू है, उसका क़िस्सा कहाँ है?