इतरां की कहानी मैंने 2016 में लिखनी शुरू की और #इश्क़तिलिस्म उससे भी कुछ साल पहले से। लिखने के अलावा ये कहानी सुनाने में भी बहुत अच्छा लगता। एक लड़की जिसके खून में चिट्ठियाँ बहती थीं। रूद्र, जिसने दुनिया के कितने सारे शहर देख रखे हैं और जिसकी लाइब्रेरी में कहाँ कहाँ की किताबें हैं। मोक्ष, इतरां का फ़ॉरएवर वाला इश्क़। हज़ार हसरतों का एक शहर कि जो sentient हो गया है और मिटना नहीं चाहता। कई साल तक मैं इस तिलिस्म में घूमती रही। इस कहानी के मेरे मन में कई वर्ज़न हैं, किसी ऑल्टर्नेट दुनिया की तरह, सब एक दूसरे से ज़रा ज़रा अलग। हर बार जब किसी नए ऑडीयन्स को कहानी सुनाती हूँ, किरदार थोड़ा बदल जाता है। मैं उन्हें थोड़ा और जान जाती हूँ। उपन्यास, 'इश्क़ तिलिस्म' Hind Yugm Prakashan से अभी फ़रवरी में छपा है धीरे धीरे अपने पाठकों तक पहुँच रहा है। कहानी भी धीरे धीरे अपने चाहने वालों तक पहुँचेगी, इसी उम्मीद में, छोटा सा इवेंट है।
बहुत साल बाद बैंगलोर में कहानी सुना रही हूँ। प्यारे दोस्तों-परिचितों को लेकर आइए।
तिलिस्म में उसके बनाने वाले के साथ घूमना चाहिए।
आपका इंतज़ार है!