वक़्त बिताया जा सकता है
यूँ भी दर्द-ए-ग़ैर बंटाया जा सकता हैआंसू अपनी आँख में लाया जा सकता हैखुद को अलग करोगे कैसे, दर्द से बोलोदाग, ज़ख्म का भले मिटाया जा सकता हैमेरी हसरत का हर गुलशन खिला हुआ हैफिर कोई तूफ़ान बुलाया जा सकता हैअश्क़ सरापा ख़्वाब मेरे कहते हैं मुझसेग़म की रेत पे बदन सुखाया जा