हम मिलेंगे उसे ये याद है,
दूर तो है मगर थोड़े आसपास हैं ।
करीब बैठे तस्वीरों को देख सोचते हैं बहुत,
हम मिले तो नहीं मगर बहुत ख़ास हैं ।
सुकून उसके बाद भी रहेगी मालूम नहीं मुझे,
मगर दिलासा देने वाली होगी ये जानता हूॅं मैं ।
गुजरेंगी दिन और रातें बातें करते-करते,
झगड़ा होगा, मनाया जाएगा, बातें होंगी फिर से ।
अज़ीज़ खूबसूरत हर एक-एक मौसम होगा,
बारिश तो नहीं होगी हम दोनों का भींगना होगा ।
ज़रूरी तो नहीं कुछ चीजें नदारत अभी हो जाएं,
हम दोनों मिलते रहें और वक्त बेवजह गुम हो जाए।
सोचो मोहब्बत जाने कितना मीठा लगता है ना,
कुछ गलती से खो जाए कितना तीख़ा लगता है ना ।
यह बात की बात है हम दोनों कहाॅं तक चलते रहेंगे,
थोड़ी खुशी इश्क़ में घुल जाए तो ज़िंदगी भर साथ रहेंगे ।
अक्सर घर की चौखट में सब कुछ हसीन लगता है ना,
ज़िंदगी तब समझ आती है जब घर से निकलना होता है ना।
चलो थोड़ा ख़्वाब संजों लेते हैं उसके साथ ही अब,
मोहब्बत जब शायर को होती है वो भी भूल जाता है ना...
- डेनिरो सलाम