जिसे देखो शहर में मोहब्बत का मारा हो गया
जाने कैसे फिर वो अजनबी बेसहारा हो गया
हमने देखे हैं चॉंद के करीब सितारें बहुत से
घर लौटे तो पता चला ज़हर ज्यादा हो गया
सोचो कि मोहब्बत में क्या असर हुआ होगा
परिंदों को कहॉं पता चिट्ठी कहॉं पहुॅंचा होगा
ये ख़ुदा के मुरीद बस उड़ना ही तो जानते हैं
इन्हें कहाॅं मालूम अब ख़त किसने पढ़ा होगा
शहर बदले होंगे उसने नम्बर भी बदला होगा
होश संभालते-संभालते घर, पता बदला होगा
मुझे ये थोड़ी पता उसने क्या-क्या बदला होगा
बड़े गौर से सुन रहे हो असर तुम्हे भी हुआ होगा
मैं तो इक शायर हूॅं शायरी करता हूॅं मुसलसल
तुम मिले गुल से जिसकी बात कर रहा मैं कल
खैर ये छोड़ो मोहब्बत का ज़हर सबको चढ़ा होगा
शहर तुमने भी बदला होगा पता उसका पूछा होगा
मिले होगे तुम उसके घर के कूचे में चलते-चलते कहीं
उसकी ऊंगली में अंगुठी देख तुम्हारा दिल जला होगा
ये बात अलग है परिंदो ने चिट्ठी कहॉं पहुॅंचाया होगा
वो बात भी सही है कुछ चारा चुग के उड़ गया होगा
तुम तो पहुॅंच चुके जहॉं तुम्हें जल्दी-जल्दी पहुॅंचना था
मैं भूल आया सारी बात अब मुझे क्या-क्या पूछना था
ख़ैर ये छोड़ो जिसे देखो वो मोहब्बत का मारा हो गया
होश जब संभाला तो अनजान शहर में बेसहारा हो गया...
- डेनिरो सलाम