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JOURNEY

16 मई 2022

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रोज़ आधी नींद लिये हर रात हमेशा की तरह जाग जाता हूॅं, कुछ मेरे ही सवाल होते हैं जिनके जवाब मैं ख़ुद ही ढूंढने लगता हूॅं और फिर, मन ही मन ये सोचता हूॅं, अब भी कोई ज़िंदगी का हिस्सा मुझसे वाक़िफ है क्या? जिसके सवाल मैं ख़ुद ही बनता जा रहा हूॅं और जवाब मेरे लेखन की अभिलाषा में कहीं ख़ुद को छिपाएं मुझ में ही कहीं छिपी है । ऑंखें जब बंद करता हूॅं, लगता है कि मेरे ही अनगिनत सवाल मुझसे ही अब जवाब मांग रहे हैं। रोशनी के आड़ में अंधेरे को बेवजह ही टटोलने लगता हूॅं और ख़ुद से ही बातें करने लगता हूॅं । समझने की कोशिश में नींद को भुलाना चाहता हूॅं और जब भी मन होता है ,मैं अपने ही सवालों को और कुछ बताना चाहता हूॅं । करवटों का भी हिसाब लगाता हूॅं और सोचता हूॅं भीड़ का एक हिस्सा होकर भीड़ के सामने से निकलना चाहता हूॅं ,उस बीते हुए बचपन के दौर में फ़िर से एक बार लौटना चाहता हूॅं । जहाॅं ज़िंदगी की शुरुआत की बहुत सारे हिस्से बहुत खूबसूरत थे, जहाॅं कोई सवाल नहीं था दुख नहीं था, ईर्ष्या की भावना नहीं थी और कोई लालसा नहीं था । इन सारे के सारे लम्हों को समेटकर सारी खुशियां अपने स्कूल के बस्ते में लेकर अपने इस दौर में आना चाहता हूॅं । ज़िंदगी की इस यात्रा में उस खूबसूरत लम्हों को जीना चाहता हूॅं और मेरे ही सवालों को ये बताना चाहता हूॅं कि ज़िंदगी की यात्रा कितनी अनोखी और कितनी खुशनुमा और खूबसूरत है ,हर एक लम्हा एक-एक टुकड़ा कितना अनोखा और ख़ूबसूरत है जिसे जानकर हम अंजान भी हैं और परेशान भी मगर जवाब ढूंढने अगर निकलें तो ज़िंदगी की यात्रा का आयाम बहुत अनोखा होगा और बेहद ख़ूबसूरत भी ‌।

- डेनिरो सलाम

Deniro की अन्य किताबें

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रचनाएँ
गहरी काली रातें
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हम सब ने ज़िंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं और आज भी देख रहे हैं पर मुश्किलों से भरा खूबसूरत सफ़र निरंतर चल रहा है और रोचक दृश्य और गंभीर भावना के "रस" की हर अंदाज़ से भरा हुआ है इसकी पहली "तस्वीर" है जो हम सबकी ज़िंदगी का ऐसा आईना है जो निरंतर हमें वह दिखा रहा है जो हम देखना चाहते हैं, उस गहरे-काले अंधेरे में । हर एक अंश जुड़ा है हर एक इंसान की गहरी भावनाओं से बिलखते,मुस्कुराते,डरते,सोते,जागते चेहरों से और शायद हर दृश्य एक-एक कर के पुनः हमारे मस्तिष्क में घर कर जाएं और ज़िंदगी के आईने के सामने हम सब खड़े होकर ख़ुद को बार-बार देखने लगें और पूछने लगें कि सफ़र मुश्किलों से भरा रहा पर कितना खूबसूरत है, हर एक कविता का ज़िंदगी में कहानी बन जाना....
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HALF ASLEEP

16 मई 2022
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कब तक देखते आसमॉं में सितारे मुसलसल ,अब सितारा सुबह होते कहॉं गुमनाम हो गया ।अनजान से ही थे हम अपने ही शहर में ,ना जाने किन-किन को हमसे काम आ गया ।लिख रहे हर वक्त ख़त एक अनजान शख़्स को,जाने कहॉं से हम

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GREEN FOREST

16 मई 2022
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आखिर ठहर कर क्या देखते इस ज़माने में,सब बेघर हुए थे अपने छोटे से आशियाने से ।ऊंचे-ऊंचे दरख़्त देखे हर जगह हर तरफ़ मैने,फिर उसे काटते इंसान के बहुत से प्यादे देखे ।जा रही थी दरख़्त की जान ऐसे ज़माने दे

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ज़हर

16 मई 2022
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जिसे देखो शहर में मोहब्बत का मारा हो गयाजाने कैसे फिर वो अजनबी बेसहारा हो गयाहमने देखे हैं चॉंद के करीब सितारें बहुत सेघर लौटे तो पता चला ज़हर ज्यादा हो गयासोचो कि मोहब्बत में क्या असर हुआ होगापरिंदों

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OLD days

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ज़िंदगी आज हम हैं कल कोई और होगा ,हम नही भी हुए तो क्या, हमशे बेहतर होगा ।ये वक्त , वक्त की हर इक बातों पर छोड़ दो,वो कभी हमशा होगा तो कभी तुमसा होगा ।ख़्यालों का समां होगा बावरा सा मन होगा,गुजरेंगे ल

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ONE MOVEMENT

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क्या लिखूं मैं तुझे की मैं तुझे याद रहूॅं ,बुने अल्फाजों में तुम्हें हमेशा याद रहूॅं ।बचपन,जवानी,बुढ़ापा सब बीत जीती है,बारिशों की बूंदे छू कर कहीं खो जाती है ।घर की चौखट में कभी मैं अब तन्हा बैठा,लम्

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JOURNEY

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रोज़ आधी नींद लिये हर रात हमेशा की तरह जाग जाता हूॅं, कुछ मेरे ही सवाल होते हैं जिनके जवाब मैं ख़ुद ही ढूंढने लगता हूॅं और फिर, मन ही मन ये सोचता हूॅं, अब भी कोई ज़िंदगी का हिस्सा मुझसे वाक़िफ है क्या

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BROKEN CHAINS

16 मई 2022
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कब तक किसी से बिछड़ कर उसे कोसते रहोगे, मोहब्ब्त हसीन लम्हा है कब तक उसे बेहुदा कहोगे ।ज़िंदगी का दस्तूर है कि बिछड़ना जरूरी होता है,तभी तो किसी ख़ास क़रीब से मोहब्ब्त करोगे ।लम्हें वैसे नहीं होत

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LOVE IS BLIND

16 मई 2022
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हम मिलेंगे उसे ये याद है,दूर तो है मगर थोड़े आसपास हैं ।करीब बैठे तस्वीरों को देख सोचते हैं बहुत,हम मिले तो नहीं मगर बहुत ख़ास हैं ।सुकून उसके बाद भी रहेगी मालूम नहीं मुझे,मगर दिलासा देने वाली होगी ये

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SAVE HASDEO FOREST

16 मई 2022
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माना की वहाॅं खनिज है तो क्या हुआ हर किसी का जीवन है जंगल,तुम ठहरे पैसे के भूखे कहाॅं जानोगे प्रकृति का आने वाला कल ।सोचो कितने नादान और चालाक हैं लोग, मौत सामने बार-बार आ रही,और जंगल में बने घरों को

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INNOCENT TRIBLE

16 मई 2022
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ये सच कहते मेरी जुबां नहीं थकती,हम हैं जंगल के वासी पर ,ना जाने सरकार हमसे क्या है चाहती ।ना हम हैं नक्सल और ना कोई उग्र जाति,ना जानें क्यों पिस्ते हैं हम भगदड़ में मासूम आदीवासी ।कोयले की अब जो खदाने

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