ज़िंदगी आज हम हैं कल कोई और होगा ,
हम नही भी हुए तो क्या, हमशे बेहतर होगा ।
ये वक्त , वक्त की हर इक बातों पर छोड़ दो,
वो कभी हमशा होगा तो कभी तुमसा होगा ।
ख़्यालों का समां होगा बावरा सा मन होगा,
गुजरेंगे लम्हे बार-बार, खोया सा आसमां होगा ।
ढूंढेंगे सितारें ज़मी पर ठहर कर मुसलसल,
ख़ुद को खो कर चमकता इक चेहरा होगा ।
तहरीर पर लिखेंगे हर इक बात उसकी हम,
गुलों से गुजरता बिखरता एक खुशबू होगा ।
ढलेगा सूरज चमकेगा आसमा इक बार फ़िर,
ज़मीं पर झिलमिलाता निखरता आईना होगा ।
देख कर ठहर जाएंगे लोग एक दफ़ा ही न क्यों,
फ़िर इक खुशनुमा महकता रंगों से चमन होगा ।
ज़िंदगी आज हम हैं कल कोई और होगा ,
हम नही भी हुए तो क्या, हमशे बेहतर होगा....
- डेनिरो सलाम