आशिक तेरा कहाने लगा हूँ मैं।।
दिल से तुझको चाहने लगा हूँ मैं।।
पागल हुआ हूँ तेरे प्यार में इस कदर।
गलियों में मजनूं कहाने लगा हूँ मैं।।
मिल मिलकर तुझे हालत क्या हुई मेरी।
पाने के तुझे ख्वाब सजाने लगा हूँ मैं।।
अब बैठक बन गई है तेरी गली मैं मेरी ।
गली पर तेरी निगाह जमाने लगा हूँ मैं।।
तेरी मोहब्बत का करम तो देखिए जरा।
तेरी बन्दगी के ही शेर गाने लगा हूँ मैं।।
अपनी पहचान क्या , 'सुओम' बताओ तो ।
तेरे ही नाम से पहचाना जाने लगा हूँ मैं।।