माना हम चिट्ठियों के दौर में नहीं मिलें, डाकिए की राह तकी नहीं हमने। हम मिले मुट्ठियों के दौर में। जिसमें रूमाल कम, फोन ज्यादा रहता था। माना हम किताब लेने देने के बहाने नहीं मिलें, जिसे पढ़ते, पलटते सीने पर रख, बहुत से ख्वाब लिए उसके साथ सो जाया करते। हम मिले मेसेज, मेसेंजर, वाट्स अप, एफ बी, इंस्टा