शाम को घर में घुसते ही छोटे भाई के बेटे को अपनी माँ से यह कहते सुना कि मम्मी ताऊ जी हसते क्यों नहीं?हरदम गुस्सा रहते हैं।मैंने कपड़े बदले और नाश्ता करने बैठ गया।अब उसे कैसे बताऊँ कि चौदह महीने से मानदेय नहीं मिला,खर्च मुंह बाये खड़ा है।दिन भर गाँव की गलियाँ और तालाब नापते सब हाल बेहाल हो जाता है।काम का बोझ चिड़चिड़ाहट और उदासी साथ लाता है।बच्चे की यह बात मुझे भीतर तक झकझोर गई।आगे से कार्यक्षेत्र का तनाव घर से बाहर ही छोड़ कर आऊंगा ।चेहरे पर उभरे कठोर मनोभावों को छह-साल साल का बच्चा कितनी आसानी से पढ़ गया,इसी बात से प्रभावित होकर मुझे अपना रबैया बदलना पड़ा।बालमन अपने इर्दगिर्द की घटनाओं के प्रति कितना संवेदनशील होता है इनका आभास भी उसकी बात ने करा दिया।अब कुछ देर उनके बीच बैठ कर कुछ उनकी सुनना और कुछ अपनी सुनकर बालसुलभ हसी पाकर बहुत कुछ पा लिया लगता है।