उम्मीद की एक किरणहर बारदिल के दरवाजे परजाने किस झरोखे सेकुछ यूँ झांकती हैके कुछ पल के लिए ही सहीचेहरे पे ख़ुशी की झलकसाफ दिखाई देती है,मन खुश होता है,दिल खुश होता है,फिर जाने कैसेचिंताओं की परछाईउस किरण के सामनेआ जाती हैसब दूर अँधेरा छा जाता हैदिल डूब जाता है।धीरे धीरे लड़खड़ाती सीफिर गुम हो जाती हैवो
हालांकि मैं कोई प्रोफेशनल लेखक या कवि तो नहीं, पर आपकी तरह लिखने का शौक स्कूल के समय से रखता हूँ। और आज भी कभी कभी बस यूं ही लिख लिया करता हूँ। करीब 10 - 12 साल पहले मैंने लिखना शुरू किया था, शुरुआत में कवितायें, शायरी, छोटे मोटे लेख इत्यादि लिखा करता था, पर मेरा दायरा सीमित था। मैं लिखता, और मेरे