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मैं एक कवि हूँ।

26 फरवरी 2018

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कभी-कभी शब्द

नहीं मिलते,

फिर भी खयालों

को बुनने का

मन करता है।

नदी किनारे सीप

की मोतियों को

यूँ ही चुनने का

मन करता है।

मैं एक कवि हूँ।


गुजरते हुए इस

वक़्त को थामने

का मन करता है।

सोचता हूँ कुछ

ऐसा लिख जाऊँ

जो अमर प्रेम

कृति बन जाए।

मैं एक कवि हूँ।


मुश्किलें तो बहुत

आती हैं पर

हौंसला नहीं खोते हैं।

हर परिस्थिति में

एक जैसे रहें,

कवि वैसे होते हैं।


©नीतिश तिवारी।

http://iwillrocknow.blogspot.in/

Nitish Tiwary की अन्य किताबें

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आज।

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मैं एक कवि हूँ।

26 फरवरी 2018
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कभी-कभी शब्दनहीं मिलते,फिर भी खयालोंको बुनने कामन करता है।नदी किनारे सीपकी मोतियों कोयूँ ही चुनने कामन करता है।मैं एक कवि हूँ।गुजरते हुए इसवक़्त को थामनेका मन करता है।सोचता हूँ कुछऐसा लिख जाऊँजो अमर प्रेम कृति बन जाए।मैं एक कवि हूँ।मुश्किलें तो बहुतआती हैं परहौंसला नहीं खोते हैं।हर परिस्थिति मेंएक जै

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26 फरवरी 2018
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3 मई 2018
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