कभी-कभी शब्द
नहीं मिलते,
फिर भी खयालों
को बुनने का
मन करता है।
नदी किनारे सीप
की मोतियों को
यूँ ही चुनने का
मन करता है।
मैं एक कवि हूँ।
गुजरते हुए इस
वक़्त को थामने
का मन करता है।
सोचता हूँ कुछ
ऐसा लिख जाऊँ
जो अमर प्रेम
कृति बन जाए।
मैं एक कवि हूँ।
मुश्किलें तो बहुत
आती हैं पर
हौंसला नहीं खोते हैं।
हर परिस्थिति में
एक जैसे रहें,
कवि वैसे होते हैं।
©नीतिश तिवारी।
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