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मैं गाँव हूँ

6 अक्टूबर 2021

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बचा लो मुझे मेरा दम घुट रहा

रोक लो अभी जनाजा उठ रहा है

चाहता तो हूँ की मैं आजाद हो जाऊं

किसी जंगल में मैं आबाद हो जाऊँ

बरगद और पीपल की छाँव मैं हूँ

शहर के चंगुल में फंसा छोटा सा गांव हूँ

भागता हूँ तो पकडा जा रहा है

सीमेंट सरिया से मुझे जकडा जा रहा है

सम्भालो मुझे मेरा सब लुट रहा है

बचालो मुझे मेरा दम घुट रहा है

रोक लो अभी जनाजा उठ रहा है

उदयबीर सिंह गौर खमहौरा बांदा उत्तर प्रदेश

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