किसान कविता लेखन व पढना पसंद है
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<p>शरद रितु भी देख इनको ठंड से है सिकुड़ जाती </p> <p> है अडिग हिम
<p>हे प्रभु दीनबंधु दुख हरता</p> <p>और कितने पापी तारोगे</p> <p>घर घर उपज रहे दसकंधर</p> <p>अब कितने
<p>बचा लो मुझे मेरा दम घुट रहा</p> <p>रोक लो अभी जनाजा उठ रहा है</p> <p>चाहता तो हूँ की मैं आजाद हो
<p>सोचता ही रहा जिन्दगी भर सदा</p> <p>हर महफ़िल में मेरी लगी साख है</p> <p>क्या बचाऊ बनाऊं मैं संचित
<p>मेरी सुध भी लेले मेरे प्यारे बेटे </p> <p> &n