महेंद्र प्रताप सिंह एक सफल बिजनेस मैन हैं, उनकी पत्नी के अलावा उनका एक लड़का था जो कुछ साल पहले ही एक कार एक्सीडेंट में मारा गया था, बेचारे 65 साल की उम्र में एक बच्ची को गोद लेते हैं , उस बच्ची को एडॉप्ट करने का भी एक संयोग ही था, एक दिन महेंद्र जी कहीं गाड़ी चला कर जा रहे थे तो उनकी गाड़ी के सामने ये आठ साल कि लड़की आ गई ,वह तो अगर इमरजेंसी ब्रेक नही मरते तो बच्ची बचती नही फिर भी उसे थोड़ा मार लग गया था, वह उसे उठाकर घर ले आते हैं क्योंकि हॉस्पिटल ले जाने पर पचासों झंझट हो जाती है, वह अपने डॉक्टर को बुलाकर उसका इलाज करवाता है, और फिर उस बच्ची से उसके बारे में पूछता है तो वह कहती है कि उसका कोई नही है, उसके मां बाप कुछ दिन पहले ही एक्सीडेंट में मारे गए थे ,और उसके घर वाले उसे भी घर से निकल दिया था, तब से वह भीख मांग कर खा रही थी,महेंद्र सिंह उस बच्ची को अपने पास रख लेते हैं और कानूनी तौर पर उसे एडॉप्ट कर लेते हैं वैसे भी उनकी लाइफ में भी कोई नही था तो इस बच्ची के आने से घर में खुशियां आ गई थी,पर कुछ लोगो को उस बच्ची का एडॉप्ट करना अच्छा नहीं लगता है, और एक दिन उस बच्ची का किडनैप हो जाता है, महेंद्र प्रताप का ठंडा खून भी खुल उठता है , क्योंकि उसके साथ हमेशा से कोई ना कोई गेम हो रहा था ,दरअसल पूरे परिवार में वही एक था जिसने अपनी जिंदगी में मेहनत कर के सारी कमाई की थी आज जो कुछ भी था , उसकी अपनी मेहनत की बनाई हुई थी, इस से बहुत लोगो को जलन थी, और शायद इसी लिए उसके बेटे का एक्सीडेंट कराया गया था, पर बहुत कोशिश के बावजूद महेंद्र सिंह उसे मर्डर साबित नही करवा पाए , अब इस छोटी सी बच्ची को भी नही छोड़ा , वह पुलिस में कंप्लेंट दर्ज करवाते हैं, और उदास होकर घर आते हैं , वह अपने आदमी चारो तरफ लगा देते हैं,, उसी समय किडनैपर का कॉल आता है और वह कहता है कि " बच्ची चाहते हो तो अकेले बिना पुलिस को सूचना दिए 1 करोड़ रुपए लेकर आ जाओ, हम थोड़ी देर में तुम्हे लोकेशन बताते हैं, "!! महेंद्र सिंह इस बार इनसे निपटने का मन बना लेते हैं, वह खुद पहले I P S थे पर अपना बिजनेस शुरू करने के बाद अवकाश ले लिया था, वह अपना पिस्टल लोड करके रखते हैं, साथ ही एक करोड़ रुपए भी एक बैग में रखते हैं, तभी उनका कॉल आता है, और वह उन्हे पता बताते हैं और धमकाते हैं की अगर पुलिस को बताया या फिर कोई चालाकी की तो बच्ची की लाश ले जाना , महेंद्र सिंह को बहुत गुस्सा आता है, वह उठकर जाते हैं,,!!
थोड़ी ही देर में वह अकेले ही वहां पहुंचते हैं
Yahn एक सुनसान बंद पड़ी कंपनी थी , वह अंदर जाते हैं तो चार लोग उन्हे घेर लेते हैं , वह चुप चाप उनके साथ जाते हैं , अंदर जाने पर एक आदमी और दिखाई देता है, सभी के चेहरे गमछे से ढके हुए हैं,अभी हाथो में पिस्टल है, सामने वाला कहता है ," पैसे लाए हो, वह कहता है गाड़ी में है ,पहले बच्ची को लाओ फिर पैसे ले लो, वह अपने आदमियों से कहता है ,बच्ची लाओ ,उसके आदमी रस्सी से बंधे बच्ची को लाते हैं, बच्ची उनको देख रोने लगती है तो वह उसे कहते हैं" मत रो बेटी मैं तुझे ही लेने आया हूं, !! वह आदमी कहता है, " पैसा ला ,"!! महेंद्र कहते हैं ," तु राजेश है, मैं तेरी आवाज पहचान गया हूं ,तुझे ये सब करने की क्या जरूरत थी, पैसे चाहिए था तो मुझसे मांग लेता , "!! वह कहता है ," अब तो चाचा आपने पहचान ही लिया तो हमारे लिए खतरा बढ़ गया , अब तो कहानी ही खतम करनी होगी वैसे भी आपके मरने के बाद सबकुछ हमारा ही होना है"!! , वह अपने चेहरे से जैसे ही गमछा उठता है, तब तक महेंद्र अपने जूते में छुपा रखा पिस्टल उठा कर उन पर गोलियां चलाना शुरू कर देता है जब तक कोई समझता वह पांचों को ढेर कर चुके थे , वह कहते है," गुंडागिरी का नियम है बोलो काम मारो ज्यादा मुझे तुझपे पहले से शक था, तु ये भुल चुका था कि मैं भी कभी पुलिस अधिकारी था, ,"!! वह बच्ची की रस्सी खोलते है ,और पुलिस को कॉल करते हैं, और उन्हे सारा मैटर बताते है , पुलिस आती है , और सभी की लाशे उठाती है सभी छ्टे हुए गुंडे थे ,सब पर सरकारी इनाम था, उनका भतीजा राजेश सिर्फ उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा करना चाहता था इसलिए उसने इनके बेटे का एक्सीडेंट भी कराया था , कुछ दिनों में इनका भी काम तमाम करने वाला था तभी उन्होंने उस बच्ची को गोद ले लिए जो उस से बर्दास्त नहीं हुआ था, पुलिस उन्हे सेल्फ डिफेंस के आधार पर छोड़ देती है, महेंद्र सारी प्रॉपर्टी बच्ची के नाम करते है, ,"!!