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मंदार पुरंदरे की डायरी

मंदार पुरंदरे

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mandar purandare ki dir

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मंदार पुरंदरे की अन्य किताबें

पुस्तक के भाग

1

सबकुछ हो चुका है

22 दिसम्बर 2018
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सबकुछ हो चुका है: उत्तेजित-से स्वर में उनके सामने पढ़ रहा था मैं अपनी कुछ पसंदीदा कविताएँ,और वह भी उन्हीं की भाषा में लिखी हुई उन्हीं के कवियों की उस वक़्त शायद मेरी आँखें चमक रही थीं एक के बाद एक पंक्तियाँ सामने आ रही थीं एक के बाद एक पन्ने पलट रहा था और उनके सामने रख रहा था कुछ बेजोड़ चीज़ें, जो उन्ही

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राग : शुभ्रा

13 जनवरी 2019
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राग : शुभ्रा समूचे विश्व में मनाए जानेवाले भिन्न भिन्न त्योहार मानव की उत्सव मनाने की सहज प्रवृत्ति से जुड़े हैं और मौसम से, प्रकृति से इनका एक अटूट रिश्ता है। गणेशोत्सव के आख़िरी दिन गणेशजी को विदा देते समय , और कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण का स्वागत करते समय ब

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