सबकुछ हो चुका है
सबकुछ हो चुका है: उत्तेजित-से स्वर में उनके सामने पढ़ रहा था मैं अपनी कुछ पसंदीदा कविताएँ,और वह भी उन्हीं की भाषा में लिखी हुई उन्हीं के कवियों की उस वक़्त शायद मेरी आँखें चमक रही थीं एक के बाद एक पंक्तियाँ सामने आ रही थीं एक के बाद एक पन्ने पलट रहा था और उनके सामने रख रहा था कुछ बेजोड़ चीज़ें, जो उन्ही