समुंदर में डूबकर ले आये वो मोतीजिन्होंने गहरे में छलांग लगा दीऔर हम नाव ढूँढ़ते रह गए।चढ़ गए वो ऊँचे पहाड़ परजिन्होंने हौंसला रखअपने कदम बढ़ा दिएऔर हम सीढ़ी ढूँढ़ते रह गए।टकराकर तूफ़ानों सेवो सीना तानकर
#साहस संकट में तू रोता क्यो है हे! वीर धैर्य खोता क्यों है ले धनुष उठा बन जा राघव तू शक्ति हीन होता क्यो है पग के पत्थर को फूल बना तू बाधाओं को धूल बना जब समय तेरे प्रतिकूल बने तब तू इसको
जिंदगी है इक झरोखा झांकते रहिये।लक्ष्य से भी अपनी दूरी नापते रहिये। साथ-साथ चलेंगे तो पा ही लेंगे मंजिलें। बस एक दूजे के दु:खों को बांटते रहिये।