जिंदगी है इक झरोखा झांकते रहिये।
लक्ष्य से भी अपनी दूरी नापते रहिये।
साथ-साथ चलेंगे तो पा ही लेंगे मंजिलें।
बस एक दूजे के दु:खों को बांटते रहिये।
27 जून 2016
जिंदगी है इक झरोखा झांकते रहिये।
लक्ष्य से भी अपनी दूरी नापते रहिये।
साथ-साथ चलेंगे तो पा ही लेंगे मंजिलें।
बस एक दूजे के दु:खों को बांटते रहिये।
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ , कहाँ गायब हो गई है आप ?
13 जनवरी 2017